जय हिन्द

Monday, July 26, 2010

सपने सी ज़िन्दगी....


ज़िन्दगी भी बड़ी अजीब है....
यहाँ हर किसी का साथ है...
लेकिन जाने कौन किसके करीब है....
सपनो मैं देखा करते थे एक चेहरा जाना पहचाना सा ....
पर सुबह जब आँख खुली तो पता चला वो .....
किसी और का नसीब है.....
झिलमिलाती आँखों से बुना किये एक सपना...
हर जर्रे ने कहा वो सपना है तुम्हारा अपना....
लेकिन वो ख्वाब ही रहा हमेशा ....
न बन पाया वो हमराह किसी का....


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