जय हिन्द

Saturday, July 3, 2010

आज मेरी जिन्दगानी निकल पड़ी...



आज फिर तेरी यादो की निशानी निकल पड़ी ...
राहों में हमने उसे समझाया तो बहुत...
मगर मुझसे पहले उसकी दीवानी चल पड़ी ...
किस्मत ने बताया था तेरा पता....
समझाया था ऐसे न मिला किसी से...
लेकिन जब तेरा ज़िक्र आया तो...
खुद बा खुद मेरी साँसों की रवानी चल पड़ी ...
एक तेरी ही तलाश में भटका किये दर बदर...
मगर आज जब तू सामने आया तो....
मुझसे दूर मेरी जिंदगानी चल पड़ी...
जब तू मिला हमें एक पल के लिए लगा था...
जैसे ये दिल जनता हो तुझे हमेशा से...
तुझसे हुई बाते और कुछ हसीं मुलाकातों में...
मेरे ख्वाबो की हर निशानी निकल पड़ी....
एक पल ऐसा लगा की ये ख्वाब न टूटेगा कभी...
लेकिन आज जानती हूँ उन यादो की कसक को...
तेरी हर एक याद से टूटा है ये दिल और...
और कभी न ख़त्म होने वाली एक कहानी निकल पड़ी...


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