जय हिन्द

Sunday, March 2, 2014

खुद से ही बेगाने हो गए हैं.



राहें गुम हो गई हैं या हम कहीं खो गए हैं.. 
ना जाने किसकी तलाश में फिरते हैं हम
हर लम्हा .....बेसुध से हो गए हैं..... 

चेहरे पे हंसी है आँखों में नमी है..... 
बस गुमसुम सी ये जिंदगी है 
हर आहट पर सिहर जाता है ये दिल, क्या से क्या हो गए हैं.…

इस मुकाम पर आयेंगे हम ये सोचा नहीं था..... 
अजनबी बन गए है ये रास्ते
दिल में एक टूटा सा अहसास लिए बेगाने से हो गए हैं..... 

कभी खुद पर नाज था, जीने का अंदाज था.…
आज बस बिखरे हर रंग हैं और कोई न संग है.…
खुद को खुदी में ढूंढ़ते हम
खुद से ही बेगाने हो गए हैं.