जय हिन्द

Saturday, July 3, 2010

माँ का आँचल....


सुबह की हर दस्तक पर जब माँ मुझे नींद से जगाती थी....
उनींदी अंखियो से हमे चिडियों का गाना सुनाती थी....
उसकी मीठी सी बोली सुन मैं झट से कहता माँ अभी तो रात है....
कुछ देर और सोने दो न....
वो कहती राजा बेटा वो देखो चिड़िया वो तो तुमसे भी छोटी है...
लेकिन वो अपने मुन्ने को लेकर इस समय कही दूर जा रही होती है...
उनकी प्यारी प्यारी बातों से मेरा झट पट उठ जाना...
और दूजे ही पल कई सवाल लेकर मम्मी के आगे पीछे मंडराना...
मेरी उलटे सीधे सवालो को सुन तु झट से हंस देती और कहती मुन्ने राजा तू है बड़ा ही प्यारा...
रोज स्कूल न जाने की जिद्द करना वो चंदा मामा की कहानियाँ सुन उन्हें पाने की जिद्द करना...
सच आज लगता है की वो बचपन कितना प्यारा था....
रोते थे सब के सामने मगर हर कोई हमारा था...
आज तो दिल का हाल बताने में डर लगता है...
माँ आज फिर से तेरे ही आँचल तले छुप जाने को दिल करता है...

9 comments:

  1. दिल की गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना , बधाई

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  2. सुन्‍दर भावप्रद अभिव्‍यक्ति.

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  3. माँ आज फिर से तेरे ही आँचल तले छुप जाने को दिल करता है...
    really emotional..

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  4. KAVITA KA BHAV BAHUT ACHHA HAI.SENTENCES CHHOTE HONGE TO KAVITA KISI KE BHI JUBAN PAR CHADH SAKTI HAI.

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