जय हिन्द

Thursday, August 5, 2010

हर पल तन्हा कर चला जाता है....


किसी की याद आती है...
क्यों वो हर बात याद आती है...
सीने में छुपे दर्द को....
वो फिर से जगा जाती है....

क्यों हम फिर से उन राहों पर चल नहीं सकते...
क्या वो एक साथ ही हमारे लिए बाकी है....
क्यों वो मेरा प्यार मुझे छोड़ गया....
जब थी जरुरत तो भीड़ का हो गया...

ऐसे में उसी की ही याद क्यों आती है...
आज मिला है एक साथ नया...पर
डरते है की फिर वाही हाल न हो इस दिल का....
जो हुआ था एक मासूम के प्यार के साथ.....

सोच कर दिल घबराता है...
कई सवालों को दोहराता है...
क्यों वो एक साया बनकर...
मेरे साथ ही आता है....

ख़त्म कर दो उन यादो को....
जला के ख़ाक करदो उन जज्बातों को....
जो पहले धड़का करती थी...
किसी के नाम से ही....

पर आज दिल ने चाहा है....
किसी के साथ चलना....
जीवन राह पर आगे बढ़ना....
फिर क्यों वो यादे बनकर सताता है....
क्यों वो हर पल तन्हा कर चला जाता है....

10 comments:

  1. khwahish par guzare waqt ke saye kee bahut achchhee prastuti dee hai aap ne. badhai.
    पर आज दिल ने चाह है....
    किसी के साथ चलना....
    जीवन राह पर आगे बढ़ना....
    फिर क्यों वो यादे बनकर सताता है....
    क्यों वो हर पल तन्हा कर चला जाता

    it reminds me one of my old sher
    muntzir tere ahesaano ka, kaise banoon ae ajnabee,
    apanon se mile zakhm to
    ponchh lene de mujhe
    regards

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  2. one more thing I would like to add
    "hazaron khwahishen aisee" is one of my most favourite movies.

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  3. dhanyawaad sir....aise he aap mere manobal ko badhate rahe...

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  4. दिल की जुबां अच्छी है....

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