जय हिन्द

Friday, February 25, 2011

कैसी ये ज़िन्दगी है...


कैसी ये ज़िन्दगी है...
हर तरफ बस आंसुओं की नमी है....
बेपरवाफ होकर जीना हम भी चाहते हैं....
लेकिन हर जगह तेरी यादों की राहजनी है...

जिन राहों पे हम संग चला करते थे....
न जाने क्यों उन राहों पर आज वक्त की साँसे थमी हैं....
इन आँखों को है इंतज़ार तेरा...
हर सांस लेती है नाम तेरा...
पर क्यों आज मेरी किस्मत में तेरी कमी है...

चाहतों का ताना बाना हमने बुना था...
अपने ख़्वाबों को हमने खुद ही चुना था....
फिर क्यों आज खुद के फैसलों पर ऐसी बेबसी है....
कि मायूस है हम और हर लम्हा रुलाती ये ज़िन्दगी है...

वक़्त हर पल एक नये सवाल खड़े कर देता है....
किसी को खुशियों से बेजार कर देता है....
फिर क्यों हम इसके पीछे भागते रहते हैं....
जबकि हमारे हर सपनों को ख़ाक में मिलाती ये ज़िन्दगी है...







3 comments:

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