आँखों में मेरे एक ही मंजर है...
दूर तक फैला रेत का समन्दर है...
कभी तो मिलेगी मुझसे ज़िन्दगी मेरी...
बस इस उम्मीद पे ही इस ज़िन्दगी की शम्मा रौशन है...
चार दिन कि ज़िन्दगी है अपनी...
और कांटो भरा सफ़र है....
कतरे कतरे में गुज़र रही है ज़िन्दगी अब तो....
और हर लम्हा गुजरता है ऐसे जैसे एक सदी है...
कट रही है ज़िन्दगी कुछ इस तरह...
जैसे कोई उम्मीद न हो जीने की....
हम बन गए है गुनाहगार और
सजा में गुजारनी ये ज़िन्दगी है.....
jindagi se kuchh naraaz ho kya tum???
ReplyDeletejine ki jidd hai jindagi....
हौंस्लों से बुलंद है ये जिंदगी
ReplyDeleteगुलों से गुलज़ार है ये जिंदगी
उम्मीदों से सराबोर है ये जिंदगी
जिंदा रहने की जिद्द है ये जिंदगी.............
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ReplyDeletesend Birthday gifts Online
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