ये कौन सी राह है ज़िन्दगी...
तू ही बता तुझे है जाना कहाँ ज़िन्दगी....
लुट गया जो एक खुबसूरत सा आशियाना था तेरा....
अब तू ही बता कहाँ है तेरा ठिकाना ज़िन्दगी....
क्या वो तेरे साथ चल पायेगा....
जिसके साथ तुझे है बसाना ज़िन्दगी...
वो कलियाँ तेरे गुलशन कहाँ गयी....
जिससे तू हुआ करती थी गुलज़ार ज़िन्दगी....
तेरे दामन कि खुशियाँ तुने ही लुटाई है....
अब क्यों है तू एक कब्रगाह सी ज़िन्दगी....
अब वो सितारे भी हँसा करते है तुझपे....
जो सजा करते थे कभी तेरे दामन पे ज़िन्दगी...
चलते-चलते धुंधला गए रस्ते सारे...
अब तू बता कहाँ है तेरा हमराह ज़िन्दगी...
करीब आकर भी तू दरिया के....
क्यों है प्यार से तू बेज़ार ज़िन्दगी....
वो जो तेरा साया तुझसे लिपटेगा...
वो ही तेरे छुवन को तरसेगा ....
क्यों कि होगी ना सुबह उस रात की ...
जिससे हो तुझे एक नयी आस ज़िन्दगी.....
तू ही बता तुझे है जाना कहाँ ज़िन्दगी....
लुट गया जो एक खुबसूरत सा आशियाना था तेरा....
अब तू ही बता कहाँ है तेरा ठिकाना ज़िन्दगी....
क्या वो तेरे साथ चल पायेगा....
जिसके साथ तुझे है बसाना ज़िन्दगी...
वो कलियाँ तेरे गुलशन कहाँ गयी....
जिससे तू हुआ करती थी गुलज़ार ज़िन्दगी....
तेरे दामन कि खुशियाँ तुने ही लुटाई है....
अब क्यों है तू एक कब्रगाह सी ज़िन्दगी....
अब वो सितारे भी हँसा करते है तुझपे....
जो सजा करते थे कभी तेरे दामन पे ज़िन्दगी...
चलते-चलते धुंधला गए रस्ते सारे...
अब तू बता कहाँ है तेरा हमराह ज़िन्दगी...
करीब आकर भी तू दरिया के....
क्यों है प्यार से तू बेज़ार ज़िन्दगी....
वो जो तेरा साया तुझसे लिपटेगा...
वो ही तेरे छुवन को तरसेगा ....
क्यों कि होगी ना सुबह उस रात की ...
जिससे हो तुझे एक नयी आस ज़िन्दगी.....