जय हिन्द

Tuesday, May 1, 2012

क्या तुम वही हो....


तुम  वही हो जिसे दिल  ने चाहा था...
नजरों ने जिसे एक  ही झलक  में दिल  में उतारा था...

मिलती हूँ तुमसे तो हरपल  अहसास  यही होता है
तुम  होते हो कहीं और तुम्हारा दिल  कहीं होता है....

कहा था तुमने मैं वक्त  नहीं हूँ
जो बदल  जाऊंगा हर घड़ी... आज  थामा  है तेरा दामन  तो छुटेगा
ना ये कभी....

आज  मैं हूँ तुम्हारे साथ ... मगर लगता है की वो अहसास  सो गए हैं...
हम  क्यों एक  दायरे में सिमट  कर खो गए  हैं...

चाहती हूँ तुम  समझो  हर एक  ज़ज्बात  को
कहीं ऐसा ना हो, हम  किस्मत  के हाथों बंध  जाएँ...
तब  मैं तुम्हारे पास  रहूँ लेकिन  मेरी रूह रास्ते  में कहीं गुम  हो जाए ....


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