कितनी सारी बातें है जो हम कहना चाहतें हैं...
कितनी सारी बातें है जो हम सुनना चाहतें हैं...
इन्ही सारी बातों के बिच एक ज़िन्दगी है....
जिसे बातों के साथ ही हम बुनना चाहते हैं...
कभी तो ये बातें अनकही बनकर एक ख्वाब की तरह ....
तो कभी तूफां की तरह किसी की ज़िन्दगी बहा कर ले जाती है...
बातें कभी मरहम बनती हैं...किसी की दुखती रगो पर....
तो कभी नक्श्तर बन दिल की गहरायियो में समां जाती हैं...
कभी तो ये बातें ही किसी के जीने का सहारा बनती हैं....
तो फिर कभी उसी पल में ज़िन्दगी के बिखर जाने का बहाना बनती है....
एक पल में किसी के लिए ख़ुशी है तो
किसी के लिए कभी ना ख़त्म होने वाला गम है ये बातें...
फिर क्यों ऐसा होता है अक्सर....
कही अनकही बातों के बिच ज़िन्दगी को एक अनसुलझा सवाल बना देती हैं...ये बातें...