दिल के दामन में आज तन्हाई बहुत है....
दर्दे दिल की राह पे रुसवाई बहुत है....
सोचा हमराह के साथ जाऊ दरिया के पार....
मगर क्या करू इस दरिया में गहराई बहुत है.....
साथ मिला हमदम का....
फिर आया मौसम बहारो का....
पर क्या करे इस दुनिया में मिलती बेवफाई बहुत है....
लोग मिलते है बिछड़ जाते है....
यादे बनती है मिट जाती है...
इन्ही यादो के साथ मिटने को तैयार एक ज़िन्दगी खड़ी है....
पर क्या करे उस ज़िन्दगी को मिलती मौत में भी बदनामी बहुत है...
दर्दे दिल की राह पे रुसवाई बहुत है....
सोचा हमराह के साथ जाऊ दरिया के पार....
मगर क्या करू इस दरिया में गहराई बहुत है.....
साथ मिला हमदम का....
फिर आया मौसम बहारो का....
पर क्या करे इस दुनिया में मिलती बेवफाई बहुत है....
लोग मिलते है बिछड़ जाते है....
यादे बनती है मिट जाती है...
इन्ही यादो के साथ मिटने को तैयार एक ज़िन्दगी खड़ी है....
पर क्या करे उस ज़िन्दगी को मिलती मौत में भी बदनामी बहुत है...