जय हिन्द

Saturday, March 27, 2010

हक़ीकत...


दिल के दामन में आज तन्हाई बहुत है....
दर्दे दिल की राह पे रुसवाई बहुत है....

सोचा हमराह के साथ जाऊ दरिया के पार....
मगर क्या करू इस दरिया में गहराई बहुत है.....

साथ मिला हमदम का....
फिर आया मौसम बहारो का....
पर क्या करे इस दुनिया में मिलती बेवफाई बहुत है....

लोग मिलते है बिछड़ जाते है....
यादे बनती है मिट जाती है...

इन्ही यादो के साथ मिटने को तैयार एक ज़िन्दगी खड़ी है....
पर क्या करे उस ज़िन्दगी को मिलती मौत में भी बदनामी बहुत है...

Saturday, March 20, 2010

हर पल बदलती ज़िन्दगी...


ज़िन्दगी बदलती है रंग नये...
रोज दिखाती है ये ढंग नये...
हर पल कांटो भरी सेज ही क्यों...
क्यों नहीं बुनती है ये ख्वाब नये...

पलकों पे कुछ सपने हो...
संग हमारे कुछ अपने हो...
पर फिर भी क्यों नहीं जगती है ये एहसास नये....

कभी तो ढेरो खुशियाँ देती है
तो दूजे पल आँखों में आंसू भर देती है...
पर क्यों नहीं सिखाती है ये जीने के अंदाज नये...

जब हर पल एक याद है ...
और हर किसी के लबो पर बस एक ही फ़रियाद है...
तो क्यों जगाती है ये हर रोज एहसास नये...

जब हर सपनो का टूटना तय है...
और किसी अपने का रूठना तय है...
तो क्यों देती है ये हर पल साथ नये...

ज़िन्दगी तू यु ही तनहा रहती तो अच्छा था...
तुझमे कोई जीने की आस ना रहती तो अच्छा था...
कम से कम कोई ना दे पाता तुझे हर पल इक इल्जाम नये...